माता-पिता के रूप में मीडिया की समझ बढ़ाना

टीनएजर बच्चों की देखभाल करना हमेशा आसान नहीं होता है. टीनएजर बच्चों में हर दिन बदलाव हो रहे हैं, वे खुलकर जीना चाहते हैं, उनका नज़रिया बदल रहा है, वे घंटों ऑनलाइन रहते हैं और माता-पिता की बात को अनसुना करते हैं. (हमें यह मानना चाहिए कि हम भी किशोरावस्था में यही करते थे!) लेकिन आज का समय अलग है, है न? हमने जिन चीज़ों के बारे में कभी नहीं सोचा, हम चाहते हैं कि हमारे टीनएजर बच्चे उनके बारे में जानें - जैसे ऑनलाइन गलत जानकारी की पहचान करना या अपनी डिजिटल जानकारी को सार्थक बनाना या इस बारे में जानना कि हमारे निजी डेटा का उपयोग कैसे किया जा रहा है. इन बड़ी समस्याओं को हल करने में हम उनकी मदद कैसे कर सकते हैं, वह भी जब हमें पता नहीं है कि वह हमारी बात सुन भी रहे हैं या नहीं?

हमें यह मानना होगा कि हमारी बातों को सुनने से ज़्यादा टीनएजर बच्चों का ध्यान इस पर रहता है कि हम क्या कर रहे हैं. अगर आप चाहते हैं कि आपके टीनएजर बच्चे हर चीज़ सोच-समझकर करें, बातचीत प्रभावी तरीके से करें और टेक्नोलॉजी का उपयोग ज़िम्मेदारी के साथ करें, तो यह आपको खुद करके दिखाना होगा. आपको उनके सामने अच्छे काम करने होंगे, ताकि वे उनसे सीख सकें. आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी का असर आपके टीनएजर बच्चों की एक्टिविटी पर पड़ सकता है - तो क्यों न उन्हें ज़िम्मेदार डिजिटल नागरिक बनने का तरीका दिखाएँ? आप डिजिटल दुनिया के साथ जिस तरह इंटरैक्ट करते हैं, उसी तरह मीडिया की समझ बढ़ाना कैसा रहेगा?

यहाँ मीडिया की समझ बढ़ाने के लिए 5 सुझाव दिए गए हैं:

  1. उनसे संबंधित जानकारी शेयर करने से पहले उनसे पूछें. यह ज़रूरी है कि आप अपने टीनएजर बच्चे के साथ भरोसेमंद संबंध बनाएँ और उसे कायम रखें. यह भी ज़रूरी है कि आपके टीनएजर बच्चे को पता हो कि आप उसका और उसकी प्राइवेसी का सम्मान करते हैं. भरोसा बनाने और सम्मान देने का एक आसान तरीका है कि आप उनसे संबंधित जानकारी उनकी परमिशन के बिना पोस्ट कभी न करें. कभी नहीं. टीनएजर बच्चों से बिना पूछे उनके द्वारा कही गई मज़ाकिया बातें शेयर न करें या उनकी फ़ोटो जो आपने ली है, वह शेयर न करें या भावुक होकर उनकी तारीफ़ न करें. पहले जान लें कि क्या ये चीज़ें शेयर करना उनको स्वीकार है. ऐसा करने से उन्हें सीख मिलती है कि किसी व्यक्ति से संबंधित जानकारी पोस्ट या शेयर करने से पहले उनकी सहमति होनी चाहिए.
  2. मीडिया कंटेंट शेयर करने से पहले विचार करें. अपने टीनएजर बच्चों को दिखाएँ कि आप कोई भी जानकारी शेयर करने से पहले उसकी विश्वसनीयता देखते हैं और जाँचते हैं कि क्या वह शेयर करने लायक है. उन्हें यह भी दिखाएँ कि ऐसा कंटेंट जिससे आपके भावनात्मक रिएक्शन आए, ख़ास तौर पर गुस्सा दिलाने वाला कंटेंट, उसे शेयर करने से पहले कैसे थोड़ा समय लेना चाहिए. मीडिया के उपयोग से संबंधित माहौल में आपकी जो भूमिका है, उसे लेकर सतर्क रहें. साथ ही, ध्यान दें क्या आप अपने रूप में उस व्यक्ति का उदाहरण पेश कर रहे हैं, जो कुछ भी पोस्ट करने से पहले सोच-विचार करता है.
  3. मीडिया कंटेंट से जुड़े सवाल पूछें. मीडिया की समझ रखने वाले लोग मीडिया के उपयोग या उसे बनाने के लिए उत्सुक, आतुर और सजग रहते हैं. सवाल पूछने की आदत एक बेहतरीन तरीका है, जिससे आपके टीनएजर बच्चे खुद से सवाल पूछने की आदत बना लेंगे. भले ही, "सच्ची घटना पर आधारित" बताई जा रही फ़िल्म का फ़ैक्ट-चेक करना या ब्रेकिंग न्यूज़ स्टोरी के बारे में पूरी जानकारी लेना या फिर किसी सेलिब्रिटी कपल के ब्रेक-अप की तह तक जाना, इन जैसे सभी मीडिया कंटेंट की जानकारी के सोर्स के बारे में जानने के लिए हमेशा सवाल पूछना चाहिए. साथ ही, ऐसी जानकारी दिखाने के पीछे का मकसद और उसकी विश्वसनीयता के लिए भी हमेशा सवाल पूछें.
  4. देखें कि आपका झुकाव किस कंटेंट की तरफ है. हम सभी अपनी सोच, अनुभव और नज़रिए के हिसाब से मीडिया कंटेंट देखते हैं. आप इस बात को लेकर सतर्क रहें कि आपका झुकाव किस कंटेंट की तरफ है और बताएँ कि आपके द्वारा उपयोग या शेयर किए गए कंटेंट के लिए आपकी समझ या भावनाओं पर आपकी पसंद का प्रभाव कैसा होता है.
  5. टेक्नोलॉजी के उपयोग में संतुलन बनाए रखें. उन्हें दिखाएँ कि आप टेक्नोलॉजी के अलावा अपने लिए कुछ समय निकाल सकते हैं. सोफ़े पर बैठकर कोई किताब पढ़ें. किसी पहेली का हल निकालें. अपने मोबाइल के बिना कुछ समय टहलें. अपने कुत्ते को पार्क में ले जाएँ. अगर आप टेक्नोलॉजी पर 100% निर्भर नहीं हैं, तो आप अपने टीनएजर बच्चों को दिखा सकते हैं कि उन्हें भी ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है. इस संतुलन को बनाए रखने से जुड़ी जानकारी शेयर करने से ना डरें या उन्हें बताएँ कि टेक्नोलॉजी के उपयोग को कम करने के लिए आप किन सुझावों की मदद ले रहे हैं.

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