डीपफ़ेक क्या होता है?
“डीपफ़ेक” शब्द, दो शब्दों “डीप लर्निंग और फ़ेक” से मिलकर बना है. यह शब्द तब बना, जब यूज़र्स की ऑनलाइन कम्युनिटी ने एक दूसरे के साथ सेलेब्रिटीज़ का फ़ेक पॉर्न कंटेंट शेयर करना शुरू किया. डीपफ़ेक कंटेंट बनाने के लिए, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके एकदम असली जैसा लगने वाला फ़ेक कंटेंट (जैसे फ़ोटो और वीडियो) बनाया जाता है और उसे असली कंटेंट बताकर शेयर किया जाता है. लर्निंग मॉडल, कंप्यूटिंग की क्षमता का उपयोग करके बनाए जाते हैं और वे चेहरे की मुख्य विशेषताओं और शरीर के हाव-भाव/पोज़िशन पर अच्छी तरह ध्यान देकर बहुत सारे कंटेंट (जैसे किसी व्यक्ति के कई घंटे लंबे वीडियो, किसी व्यक्ति की हज़ारों फ़ोटो) का विश्लेषण कर सकते हैं.
इसके बाद, विश्लेषण से मिले इस डेटा को एल्गोरिद्म के ज़रिए उन फ़ोटो/फ़्रेम पर लागू किया जाता है, जिनसे कोई व्यक्ति डीपफ़ेक बनाना चाहता है. (जैसे ओरिजनल कंटेंट के साथ किसी और व्यक्ति के लिप मूवमेंट (और आवाज़ में डबिंग) का उपयोग करना, ताकि ऐसा लगे जैसे वह व्यक्ति ऐसी कोई बात कह रहा है, जो उसने असल में कभी कही ही नहीं है). इनमें अन्य तकनीकों, जैसे चीज़ों को और असली जैसा दिखाने के लिए आर्टिफ़ैक्ट जोड़ने (जैसे ऐसी “गड़बड़ी”, जो सामान्य या घटना से संबंधित दिखाई देती है) या मास्किंग/एडिटिंग का भी उपयोग किया जाता है. इन सब तरीकों से बनाया गया कंटेंट एकदम सच लगने लगता है. अगर आप इंटरनेट पर डीपफ़ेक के उदाहरण सर्च करें, तो आप यह देखकर हैरान रह जाएँगे कि वे एकदम असली लगते हैं. नीचे ध्यान देने लायक कुछ ज़रूरी बातें बताई गई हैं. इनके ज़रिए आप अपने बच्चे को किसी भी संभावित डीपफ़ेक का शिकार होने से बचा सकते हैं और उन्हें सच और झूठ के बीच अंतर करना सिखा सकते हैं.