ऑनलाइन सामाजिक तुलना और खुद की अच्छी छवि

JED Foundation

25 अक्टूबर, 2022

दूसरों से अपनी तुलना करना इंसान का स्वभाव होता है. लेकिन ऐसे युवाओं के लिए ये तुलना तनाव से भरी हो सकती है, जो अपने होने का वजूद तलाश रहे हैं और इस बारे में जानना चाहते हैं कि वे इस दुनिया में कहाँ फ़िट बैठते हैं. चाहे वे क्लासरूम में हों, किसी स्पोर्ट्स टीम का हिस्सा हों या सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हों, टीनएजर बच्चे जान-बूझकर या अनजाने में, अपनी मौजूदगी, रिलेशनशिप, भावनाओं, लाइफ़ स्टाइल और स्किल या क्षमताओं की तुलना दूसरों से कर सकते हैं. अगर उन्हें लगता है कि वे दूसरों की तुलना में योग्य नहीं हैं, तो यह भावनात्मक रूप से उनके जज़्बातों पर बुरा असर डाल सकता है. The Jed Foundation के विशेषज्ञ उन रिसर्च के बारे में बताते हैं, जिनसे पता चला है कि अनियंत्रित और लगातार की जाने वाली नकारात्मक सामाजिक तुलना से आत्मसम्मान में कमी, अकेलापन, खुद के बारे में खराब सोच और ज़िंदगी में असंतोष की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं.

The Jed Foundation ने ऑनलाइन और ऑफ़लाइन, दोनों जगह सामाजिक तुलना मैनेज करने से जुड़ी गाइडेंस तैयार की है. हम आपको प्रोत्साहित करते हैं कि आप इन सुझावों को अपने टीनएजर बच्चे के साथ शेयर करें और इनके बारे में उनसे चर्चा करें, ताकि सोशल मीडिया से संबंधित अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में उन्हें मदद मिले और आप उनके साथ मिलकर खुद के बारे में अच्छी सोच बनाने वाली आदतों को विकसित कर पाएँ.

सोशल मीडिया पर सामाजिक तुलना को मैनेज करना


  1. नज़रिया समझें. किसी व्यक्ति के जीवन में क्या चल रहा है, इस बारे में एक पोस्ट आपको सब कुछ नहीं बता सकती. लोग खुद को खुश दिखाने के लिए अपनी पोस्ट फ़िल्टर या एडिट कर सकते हैं और कुछ अकाउंट को कभी-कभी सावधानी के साथ क्यूरेट किया जाता है, ताकि वे आपको वही दिखा सकें जो वे आपको दिखाना चाहते हैं. फ़ोटो और मैसेज देखते समय गहराई से सोचें और याद रखें कि जो आप दूसरों की पोस्ट में देखते हैं वह उनकी स्टोरी का एक छोटा-सा हिस्सा है.
  2. अपने अंदर की आवाज सुनें. ध्यान दें कि अलग-अलग कंटेंट से आप कैसा महसूस करते हैं. कौन-सा कंटेंट आपको प्रेरित करता है और आपको अच्छा महसूस कराता है व किस कंटेंट का उल्टा असर पड़ता है? कंटेंट आपको कैसा महसूस कराता है, इस पर ध्यान देकर आप अपना सोशल मीडिया अनुभव इस तरह से बना सकते हैं जिससे आपको अंदर से खुशी मिले और वह आपके लिए फ़ायदेमंद साबित हो.
  3. अकाउंट की नियमित रूप से देख-रेख करें. उन अकाउंट की लिस्ट देखें, जिन्हें आप फ़ॉलो करते हैं और आप किसी ऐसे अकाउंट को अनफ़ॉलो कर सकते हैं, जिससे आप असहज महसूस करते हैं. समय-समय पर ऐसा करने से, आपको नए अकाउंट के लिए जगह मिल सकती है, जिससे आपका मनोबल बढ़ सकता है. अगर आप किसी अकाउंट को अनफ़ॉलो करने में सहज महसूस नहीं करते हैं, तो आप उन्हें म्यूट कर सकते हैं, जिससे आपको उनका कंटेंट नहीं दिखेगा.
  4. सोशल मीडिया पर सामाजिक बनें. रिसर्च से पता चला है कि सोशल मीडिया का एक्टिव तरीके से उपयोग करने और कंटेंट व लोगों के साथ इंटरैक्ट करने से कनेक्शन व अपनेपन की भावना पैदा हो सकती है और आपका मिज़ाज अच्छा हो सकता है. अगर तुलना करें, तो सोशल मीडिया का ज़्यादा उपयोग — खत्म न होने वाली स्क्रॉलिंग और दोस्तों व परिवार के साथ कोई इंटरैक्शन न होने से — आपका मनोबल टूट सकता है, आप अकेला महसूस कर सकते हैं या लोगों से खुद को दूर पा सकते हैं. सोशल मीडिया का उपयोग करते समय लोगों से कनेक्शन बनाए रखें. दोस्तों से संपर्क करें, खुशियाँ फैलाने वाले कंटेंट के साथ एंगेज हों और उन लोगों के साथ कनेक्शन बनाएँ जो आपके लिए मायने रखते हैं.
  5. ज़रूरत पड़ने पर ब्रेक लें. कभी-कभी, सबसे अच्छी सलाह यह होती है कि मोबाइल को बंद कर दें और स्क्रीन से दूर चले जाएँ. हर कोई अलग है, इसलिए सोशल मीडिया पर बिताने का सही समय सभी के लिए अलग-अलग होता है, लेकिन ऐसे टूल हैं जिनकी मदद से आप संतुलन बना सकते हैं. अगर आप अपनी भावनाओं में डूबे हुए हैं और यह देखते हैं कि आप सोशल मीडिया पर होने से अपने बारे में बुरा महसूस कर रहे हैं, तो उससे दूर होना ही ठीक है.

सोशल मीडिया पर सकारात्मक सोच को सपोर्ट करना


  1. कंट्रोल करें. रिसर्च से पता चला है कि जब आपकी फ़ीड अलग-अलग संस्कृतियों, बैकग्राउंड और लोगों के रंग-रूप का प्रतिनिधित्व दिखाती है, तो सोशल मीडिया दिलचस्प और फ़ायदेमंद है. उन अकाउंट और लोगों को ढूँढें व उन्हें फ़ॉलो करें, जिनके कंटेंट से आपको प्रेरणा मिलती है, आप उत्सुक महसूस करते हैं और आपको लगता है कि लोग आपके साथ हैं.
  2. आप असल ज़िंदगी में कैसे हैं, यह दिखाने वाला कंटेंट शेयर करें. आप जो भी शेयर करते हैं, उसका प्रभाव आप और आपकी पोस्ट देखने वाले लोगों, दोनों पर पड़ सकता है. पोस्ट करने से पहले: शेयर करने की वजह तलाशें? क्या मैं खुद के प्रति सच्चा हूँ? ऐसा कंटेंट बनाना और पोस्ट करना जो आपकी पूरी जानकारी देता है—आपका जुनून, शौक, सांस्कृतिक विरासत और क्वालिटी—आपके और आपके फ़ॉलोअर के लिए ज़्यादा सकारात्मक सोशल मीडिया अनुभव का परिणाम देगा.
  3. खुद को सकारात्मक और संवेदनशील विचारों से जोड़ें. सोशल मीडिया पर किसी और की क्यूरेट की गई फ़ोटो से अपनी तुलना करना, आपके लिए ठीक नहीं है. जब आप ऐसा कर रहे हों और खुद के बारे में अच्छे विचारों पर उस सोच को हावी होने देते हों, तो खुद को रोकें. उदाहरण के लिए, अगर सोशल मीडिया में तुलना से आपको अपने बारे में असहज महसूस हो रहा है, तो उन तीन चीज़ों को आज़माएँ और दोहराएँ जो आपको अपने बारे में पसंद हैं या ऐसी तारीफ़ों के बारे में सोचें, जो अन्य लोग आपके बारे में करते हैं.
  4. आभार व्यक्त करें. अपना ध्यान उन चीज़ों पर केंद्रित करने की कोशिश करें, जो आपके पास मौजूद हैं, बजाय इसके कि आपके पास जिस चीज़ की कमी है उसके बारे में आप कैसा महसूस करते हैं. इस तरह का आभार सभी के लिए स्वाभाविक रूप से नहीं आता है. यह बहुत अच्छी कोशिश हो सकती है, लेकिन यह रिवॉर्ड मिलने वाला काम है. यह नकारात्मक सामाजिक तुलना के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है और इस बारे में अच्छा महसूस करने में आपकी मदद कर सकता है कि आप कहाँ हैं और आप कौन हैं.

अगर आपका टीनएजर बच्चा अपने बारे में कुछ अच्छा कहने का प्रयास कर रहा हो, तो आगे आएँ और उसे बताएँ कि आपको उसकी कौन-सी बात पसंद है! अपने टीनएजर बच्चे को प्रोत्साहित करें कि वह किसी दोस्त से सकारात्मक इनपुट के लिए कहे या इसे दूसरे तरीके से कहें, तो उससे पूछें: वह किस तरह की या कौन-सी अच्छी बातें ऐसे किसी और व्यक्ति को बताएगा जो अपने बारे में असहज महसूस कर रहा हो?

माता-पिता और गार्जियन के लिए आखिरी विचार

ऐसी बहुत-सी निजी और बारीक चीज़ें हैं, जिनकी वजह से लोग सामाजिक तुलना करते हैं. रिसर्च से पता चला है कि हम ऑनलाइन कहाँ जाते हैं और हम हर प्लेटफ़ॉर्म पर क्या लाते हैं, (जैसे वहाँ रहने के लिए प्रेरणा, आत्मविश्वास का लेवल और उस दिन आप कैसा महसूस करते हैं) यह इस बात पर असर डालता है कि हम कंटेंट पर किस तरह जवाब देते हैं. यहाँ तक ​​कि वही कंटेंट हमारे मिज़ाज, हालिया अनुभवों और खास साइटों पर जाने के कारणों के आधार पर हमें अलग तरह का एहसास महसूस करा सकता है. इसका मतलब है कि ये सुझाव यूनिवर्सल नहीं हैं. साथ ही, ये सुझाव आपके टीनएजर बच्चे के साथ आगे की चर्चा के लिए गाइड के रूप में हैं.

टीनएजर बच्चे के माता-पिता या गार्जियन के रूप में सबसे महत्वपूर्ण है कि आप उनके साथ बातचीत शुरू करें और जब वे अपनी बात कहें, तो उन्हें बड़े ध्यान से और हमदर्दी के साथ सुनें. उनकी यह समझने में मदद करें कि सोशल मीडिया पर होने से उन्हें कैसा महसूस होता है, इस पर ध्यान देना कितना ज़रूरी है. परेशान होना, चाहे वह ज़रा सी भी परेशानी हो, इस बात की ओर इशारा करता है कि यह समय सोशल मीडिया से दूर होने और कुछ मज़ेदार करने का है. अपने टीनएजर बच्चे को बताएँ कि आप उसके लिए हर समय और हमेशा खुलकर इस विषय पर बातचीत करने के लिए मौजूद हैं कि वे सोशल मीडिया (अच्छे, बुरे और उसके बीच सब कुछ!) के साथ कैसे एंगेज हो रहे हैं.

अपने टीनएजर बच्चों को बताएँ कि उनके लिए सोशल मीडिया पर देखने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा चीज़ें मौजूद हैं. उन्हें बताएँ कि आप उनके बारे में क्या सोचते हैं और उनके व्यक्तित्व से कितने प्रभावित हैं, चाहे वे जैसे भी हैं. अगर आप अपने टीनएजर बच्चों में खुद के प्रति धैर्य की भावना विकसित कर पाते हैं, तो यह उनके जीवन भर काम आएगा.

आखिर में, अगर आप अपने टीनएजर बच्चे के बारे में लगातार चिंतित रहते हैं, तो जानें कि इस सफ़र में आपकी मदद करने के लिए और भी रिसोर्स हैं. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े भरोसेमंद रिसोर्स और प्रोवाइडर के बारे में यहाँ जानें.

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