दूसरों से अपनी तुलना करना इंसान का स्वभाव होता है. लेकिन ऐसे युवाओं के लिए ये तुलना तनाव से भरी हो सकती है, जो अपने होने का वजूद तलाश रहे हैं और इस बारे में जानना चाहते हैं कि वे इस दुनिया में कहाँ फ़िट बैठते हैं. चाहे वे क्लासरूम में हों, किसी स्पोर्ट्स टीम का हिस्सा हों या सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हों, टीनएजर बच्चे जान-बूझकर या अनजाने में, अपनी मौजूदगी, रिलेशनशिप, भावनाओं, लाइफ़ स्टाइल और स्किल या क्षमताओं की तुलना दूसरों से कर सकते हैं. अगर उन्हें लगता है कि वे दूसरों की तुलना में योग्य नहीं हैं, तो यह भावनात्मक रूप से उनके जज़्बातों पर बुरा असर डाल सकता है. The Jed Foundation के विशेषज्ञ उन रिसर्च के बारे में बताते हैं, जिनसे पता चला है कि अनियंत्रित और लगातार की जाने वाली नकारात्मक सामाजिक तुलना से आत्मसम्मान में कमी, अकेलापन, खुद के बारे में खराब सोच और ज़िंदगी में असंतोष की भावनाएँ पैदा हो सकती हैं.
The Jed Foundation ने ऑनलाइन और ऑफ़लाइन, दोनों जगह सामाजिक तुलना मैनेज करने से जुड़ी गाइडेंस तैयार की है. हम आपको प्रोत्साहित करते हैं कि आप इन सुझावों को अपने टीनएजर बच्चे के साथ शेयर करें और इनके बारे में उनसे चर्चा करें, ताकि सोशल मीडिया से संबंधित अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में उन्हें मदद मिले और आप उनके साथ मिलकर खुद के बारे में अच्छी सोच बनाने वाली आदतों को विकसित कर पाएँ.
अगर आपका टीनएजर बच्चा अपने बारे में कुछ अच्छा कहने का प्रयास कर रहा हो, तो आगे आएँ और उसे बताएँ कि आपको उसकी कौन-सी बात पसंद है! अपने टीनएजर बच्चे को प्रोत्साहित करें कि वह किसी दोस्त से सकारात्मक इनपुट के लिए कहे या इसे दूसरे तरीके से कहें, तो उससे पूछें: वह किस तरह की या कौन-सी अच्छी बातें ऐसे किसी और व्यक्ति को बताएगा जो अपने बारे में असहज महसूस कर रहा हो?
ऐसी बहुत-सी निजी और बारीक चीज़ें हैं, जिनकी वजह से लोग सामाजिक तुलना करते हैं. रिसर्च से पता चला है कि हम ऑनलाइन कहाँ जाते हैं और हम हर प्लेटफ़ॉर्म पर क्या लाते हैं, (जैसे वहाँ रहने के लिए प्रेरणा, आत्मविश्वास का लेवल और उस दिन आप कैसा महसूस करते हैं) यह इस बात पर असर डालता है कि हम कंटेंट पर किस तरह जवाब देते हैं. यहाँ तक कि वही कंटेंट हमारे मिज़ाज, हालिया अनुभवों और खास साइटों पर जाने के कारणों के आधार पर हमें अलग तरह का एहसास महसूस करा सकता है. इसका मतलब है कि ये सुझाव यूनिवर्सल नहीं हैं. साथ ही, ये सुझाव आपके टीनएजर बच्चे के साथ आगे की चर्चा के लिए गाइड के रूप में हैं.
टीनएजर बच्चे के माता-पिता या गार्जियन के रूप में सबसे महत्वपूर्ण है कि आप उनके साथ बातचीत शुरू करें और जब वे अपनी बात कहें, तो उन्हें बड़े ध्यान से और हमदर्दी के साथ सुनें. उनकी यह समझने में मदद करें कि सोशल मीडिया पर होने से उन्हें कैसा महसूस होता है, इस पर ध्यान देना कितना ज़रूरी है. परेशान होना, चाहे वह ज़रा सी भी परेशानी हो, इस बात की ओर इशारा करता है कि यह समय सोशल मीडिया से दूर होने और कुछ मज़ेदार करने का है. अपने टीनएजर बच्चे को बताएँ कि आप उसके लिए हर समय और हमेशा खुलकर इस विषय पर बातचीत करने के लिए मौजूद हैं कि वे सोशल मीडिया (अच्छे, बुरे और उसके बीच सब कुछ!) के साथ कैसे एंगेज हो रहे हैं.
अपने टीनएजर बच्चों को बताएँ कि उनके लिए सोशल मीडिया पर देखने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा चीज़ें मौजूद हैं. उन्हें बताएँ कि आप उनके बारे में क्या सोचते हैं और उनके व्यक्तित्व से कितने प्रभावित हैं, चाहे वे जैसे भी हैं. अगर आप अपने टीनएजर बच्चों में खुद के प्रति धैर्य की भावना विकसित कर पाते हैं, तो यह उनके जीवन भर काम आएगा.
आखिर में, अगर आप अपने टीनएजर बच्चे के बारे में लगातार चिंतित रहते हैं, तो जानें कि इस सफ़र में आपकी मदद करने के लिए और भी रिसोर्स हैं. मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े भरोसेमंद रिसोर्स और प्रोवाइडर के बारे में यहाँ जानें.